जानिए वट सावित्री व्रत के पूजन का रहस्य, ऐसे करें पूजा

जानिए वट सावित्री व्रत के पूजन का रहस्य, ऐसे करें पूजा

पतियों की दीर्घायु के लिए उत्तराखंड में वटसावित्री मनाया जाता है। ज्येष्ठ मास के कृष्णपक्ष में मनाया जाने वाला ये त्यौहार पति की दीर्घायु, अखंड सौभाग्य, वंश वृद्धि और परिवार की सुख, शांति, समृद्धि के लिए जाना जाता है। इसके नाम के साथ ही इसकी महत्वता भी जुड़ी हुई है।

हिन्दू मान्यता के अनुसार विवाहित महिलाओं के लिए वट सावित्री व्रत रखना बहुत ही शुभ और मंगलकारी होता है। पुराणों के अनुसार वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु, महेश का वास होता है। इसीलिए वट वृक्ष पति की दीर्घायु और सौभाग्य के लिए पूजा जाता है।

वट का पेड़ अपनी विशालता और लम्बी उम्र के लिए  जाना जाता है। पुराणों के अनुसार वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु, महेश का वास होता है. इसीलिए वट वृक्ष पति की दीर्घायु और सौभाग्य के लिए पूजा जाता है.

कैसे करते है पूजा 

वट सावित्री के इस त्यौहार में महिलाएं व्रत रखकर सिन्दूर, लाल कपड़ा, पुष्प, अक्षत, रोली, मिठाई आदि से पूजा करती है। कच्चे दूध से या फिर महिलाएं पानी से पेड़ की सात बार परिक्रमा करती है। वट वृक्ष की परिक्रमा करने के बाद इसके चारों ओर सूत का धागा लपेटती हैं।

वृक्ष के पूजन के बाद सावित्री सत्यवान की कथा का पाठ किया जाता है। इसमें पूजा गृह की दीवार पर वट सावित्री का चित्रण महिलाएं अपने हाथों से बनाती है।  आजकल इस चित्रण के पोस्टर बाजार में उपलब्ध हैं। कुछ महिलाएं इन्हीं पोस्टर्स को खरीद कर दीवार पर लगा देती है। इस पोस्टर पर  सावित्री, सत्यवान और यमराज चित्रित होते हैं।

वट सावित्री व्रत के पीछे की कहानी

सावित्री और सत्यवान हिंदू धर्म के प्रसिद्ध युगलों में से एक हैं। महाभारत के वन पर्व के मुताबिक सावित्री एक राजकुमारी थी जिसने सत्यवान नाम के एक निर्वासित राजकुमार से शादी की। सत्यवान अल्पायु था जिसके कारण उसकी मृत्यु हो गई।

जिसके बाद महासती सावित्री अपने पति को मृत्यु के देवता यम से छीन लाई। एक वट के पेड़ के नीचे सावित्री सत्यवान का सर अपनी गोद में रखकर यमराज से याचना करती है।

सत्यवान के मृत शरीर के आगे कुल्हाड़ी और कटी हुई लकड़ियों का गट्ठर बना होता है। यमराज सत्यवान की आत्मा को डोर से थामे हुए रहते हैं। इसी सावित्री पट्ट की पूजा की जाती है और सावित्री को श्रृंगार सामग्री अर्पित कर महिलाएं सौभाग्य की कामना करती हैं।

जिसके बाद सावित्री के आशीर्वाद की प्रतीक डोर भी गले में पहनी जाती है। वट के पेड़ के नीचे ही सावित्री ने अपने पति सत्यवान को पुनर्जीवित किया था। इसलिए स्त्रियां अपने पति की लम्बी उम्र की कामना के लिए सावित्री और वट को पूजती हैं।

Bhartiyavani.com ( भारतीय वाणी ) एक राष्ट्रीय हिन्दी न्यूज़ वेबसाइट है। यह 2019 में स्थापित हुई और इस न्यूज़ वेबसाइट के माध्यम से हम सभी ताजा खबरें और समाज से जुड़े सभी पहलुओं को आपके सामने प्रस्तुत करने का प्रयत्न करते है।

हमारी वेबसाइट एक रजिस्टर्ड वेबसाइट है जो कि भारत सरकार द्वारा MSME (ministry of micro small and medium enterprises) से सर्टिफाइड है।

लगभग 1 करोड़ से अधिक व्यूज के साथ लगभग २० लाख से अधिक दर्शक हमारे साथ जुड़ चुके है

अपने किसी भी सुझाव के लिए आप हमारी ईमेल आईडी bhartiyavaninews@gmail.com पर संपर्क कर सकते है या फिर हमारे व्हाट्सअप नंबर 8979456781 पर संपर्क कर सकते है

Write a Review

Comments

  • D Devendra Kumar Bsp
  • S Sri bhagwan क्या इंडिया वाले यही सब सहने के लिये पैदा हुए है नितिन गडकरी साहब , कंपनी पर ऐसा फाइन लगाओ दूसरे भी याद रखे
  • P Pankaj kumar पुलिस
  • M Manish kumar parjapity Superb
  • P Pankaj kumar Jay shri ram