Nihang Sikh कौन है ये निहंग सिख जिन्होंने बेरहमी से युवक की हत्या कर ली जिम्मेदारी

Nihang Sikh कौन है ये निहंग सिख जिन्होंने बेरहमी से युवक की हत्या कर ली जिम्मेदारी

सिंघु बॉर्डर पर हुई युवक की निर्मम हत्या के बाद चर्चा मे आए निहंग सिख Nihang Sikh बहस का मुद्दा बन गये हैं निहंगो ने युवक को इन्होंने हाथ-पैर काटकर मार दिया, फिर पुलिस की बैरिकेडिंग पर टांग दिया।सुबह जब प्रदर्शन स्थल पर युवक की क्षत-विक्षत लाश मिली तो सनसनी फैल गई। शाम होते-होते एक निहंग सिख ने युवक की हत्या की जिम्मेदारी लेते हुए पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया।


आरोपी निहंग Nihang Sikh के अनुसार उनसे युवक की हत्या इसलिए की थी, क्योंकि उसने पवित्र धर्म ग्रंथ का अपमान किया था। मृतक युवक निहंग सिखों के घोड़ों की देखभाल करता था। घटना वाले दिन इसने गुरु ग्रंथ साहब की बेअदबी की थी और पकड़ा गया था। जिसके बाद निहंग सिख ने जब इससे कारण पूछा तो युवक ने कुछ नहीं बोला। जिसके बाद उसका हाथ-पैर काट कर मार दिया गया। हत्या को अंजाम देने वाले शख्स का नाम सरवजीत सिंह है।


गिरफ्तारी के बाद जब आरोपी से हत्या के बारे में पूछा गया तो उसने कहा कि उसे कोई अफसोस नहीं है। आरोपी के चेहरे पर ना तो कोई डर दिख रहा था, ना ही दुख का कोई भाव। मृतक युवक पंजाब के तरन तारन का रहने वाला था।
निहंग Nihang Sikh को सिख समुदाय के योद्धा कहा जाता है। या फिर इसे सिख धर्म का रक्षक भी माना जाता है। सिख इतिहासकार डॉ बलवंत सिंह ढिल्लों का कहना है कि निहंग के गठन के आदेश का पता 1699 में गुरु गोबिंद सिंह द्वारा खालसा के निर्माण से लगाया जा सकता है। निहंग शब्द, गुरु ग्रंथ साहिब में एक भजन में भी आता है। जहां इसे एक निडर व्यक्ति के रूप में पेश किया गया है।


निहंग की स्थापना का श्रेय सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह को जाता है। एक बार एक अभ्यास के दौरान उनके छोटे बेटे फतेह सिंह, नीली पोशाक और हाथ में तलवार लिए युद्ध करने उतर गए थे। इस पोशाक को देखकर गुरु गोविंद सिंह बोल उठे कि इसे तो खालसा के सैनिकों की पोशाक होनी चाहिए। तभी से निहंग सिख नीले कपड़े पहने लगे। साथ में तलवार और भाले जैसे हथियार भी अपने साथ रखने लगे।


ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्नल जेम्स स्किनर के एक लेख के अनुसार, खालसा सिखों को दो समूहों में विभाजित किया गया था। एक वे जो नीले रंग की पोशाक पहनते हैं और दूसरे वो जो किसी भी रंग की पोशक पहनते हैं। हालांकि दोनों सैनिक के नियमों का पालन करते हैं।


पहले सिख शासन (1710-15) के पतन के बाद मुगल और अफगान आक्रमणकारी अहमद शाह दुर्रानी जब सिखों को मार रहे थे, तब इस समुदाय को बचाने में निहंगों की बड़ी भूमिका थी। 1734 में जब खालसा सेना को पांच बटालियनों में विभाजित किया गया था, तब एक निहंग या अकाली बटालियन का नेतृत्व बाबा दीप सिंह शाहिद ने किया था। सिखों के धार्मिक मामलों पर भी निहंगों का ही नियंत्रण रहा है। ये स्वयं को किसी सिख मुखिया के अधीन नहीं मानते और अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनाए रखते हैं।


पिछले साल अप्रैल में, निहंग सिखों के एक समूह ने पटियाला में पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया था। लॉकडाउन के दौरान पास मांगने पर एक निहंग ने पुलिस अधिकारी का हाथ ही काट दिया था। इस साल जुलाई में, दो निहंग सिखों ने लुधियाना में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की एक प्रतिमा को आग लगा दी थी। जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।

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Comments

  • D Devendra Kumar Bsp
  • S Sri bhagwan क्या इंडिया वाले यही सब सहने के लिये पैदा हुए है नितिन गडकरी साहब , कंपनी पर ऐसा फाइन लगाओ दूसरे भी याद रखे
  • P Pankaj kumar पुलिस
  • M Manish kumar parjapity Superb
  • P Pankaj kumar Jay shri ram