सावन स्पेशल...जाने कैलाश छोड़ अपनी ससुराल में क्यों निवास करते हैं भगवान शिव

सावन स्पेशल...जाने कैलाश छोड़ अपनी ससुराल में क्यों निवास करते हैं भगवान शिव

सावन के महीने में भगवान शिव कैलाश छोड़कर भक्तों के बीच रहते हैं। देवशयन के बाद शिव ही सृष्टि के एकमात्र संचालनकर्ता होते हैं। ऐसी पौराणिक मान्यता है कि श्रावण माह में भगवान शिव पूरे परिवार के साथ अपनी ससुराल में निवास करते हैं। शिवपुराण के अनुसार हिमांचल नगरी के राजा दक्ष की कन्या माता पार्वती से शिव का विवाह देवभूमि हरिद्वार के कनखल में ही संपन्न हुआ था। पूरे सावन माह शिव जी कनखल के दक्षेश्वर मन्दिर में विराजमान होते हैं।

शिवपुराण में इस प्रसंग का वर्णन किया गया है। हरिद्वार का कनखल दक्ष प्रजापति की राजधानी बतायी गयी है। एक बार देवी पार्वती के पिता प्रजापति दक्ष ने यहां एक विराट यज्ञ का आयोजन किया। यज्ञ में सम्मिलित होने के लिए माता पार्वती सभी बहनों और सृष्टि के सभी देवी देवताओं, ऋषियों मुनियों यक्ष, नाग और किन्नरों को निमंत्रण भेजा गया। विराट यज्ञ में दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव को निमंत्रण नहीं भेजा।

देवर्षि नारद ने कैलाश जाकर माता पार्वती को कनखल में होने वाले विराट यज्ञ की सूचना दी तो पीहर प्रेम में माता पार्वती विचलित हो गयीं। माता पार्वती ने भगवान शिव से यज्ञ में जाने की अनुमति मांगी, लेकिन भगवान शिव ने यह कहकर माता पार्वती को यज्ञ में जाने से रोक दिया कि तुम्हारे पिता ने तुम्हें यज्ञ का निमंत्रण नहीं भेजा है।

माता पार्वती भगवान शंकर से यज्ञ में जाने की जिद पर अड़ गयीं, माता पार्वती बिना निमंत्रण यज्ञ में शामिल हुयीं। जब माता पार्वती ने अपने पिता से भगवान शिव को यज्ञ का निमंत्रण नहीं देने का कारण पूछा, तो दक्ष प्रजापति ने क्रोधित होकर भगवान शिव को काफी भला बुरा कहा और भोलेनाथ को वनवासी कहकर अपमानित किया। इससे रूष्ट होकर देवी पार्वती ने स्वयं को यज्ञ की अग्नि में भस्म कर लिया। भगवान शिव को जब इसका पता चला तो वे अतिक्रोधित होकर तांडव करने लगे।

शिव के तांडव से समूची धरती हिलने लगी। तीनों लोकों में हाहाकार मच गया। देवी देवता सभी भगवान शिव के पास पहुंचे और शांत होने की अनुनय विनय की। तब क्रोधित भगवान शिव ने अपनी जटा से अपने पुत्र के रूप में वीरभद्र को प्रकट किया। शिव जी के आदेश पर वीरभद्र ने दक्ष प्रजापति के यज्ञ में जाकर सब कुछ विध्वंस कर डाला और दक्ष प्रजापति का सिर धड़ से अलग करके उनका वध कर दिया।

देवी देवताओं के आग्रह और दक्ष प्रजापति की पत्नी देवी मैनाक करूण क्रंदन के साथ भगवान शिव की आराधना में लीन हो गयीं। तब भगवान शिव ने दक्ष प्रजापति को बकरे का शीश लगाकर जीवनदान दिया। दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव से अपनी गलती की क्षमा मांगी। दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव से वचन लिया था कि चातुर्मास के पहले माह यानि सावन में भगवान शिव कनखल में निवास करेंगे, ताकि वह उनकी सेवा कर सकें। जिसके बाद से ही ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव कनखल में रहकर पृथ्वी पर रहने वाले जीवों का उद्धार करते हैँ और यहीं से सृष्टि का संचालन भी करते हैं।

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Comments

  • D Devendra Kumar Bsp
  • S Sri bhagwan क्या इंडिया वाले यही सब सहने के लिये पैदा हुए है नितिन गडकरी साहब , कंपनी पर ऐसा फाइन लगाओ दूसरे भी याद रखे
  • P Pankaj kumar पुलिस
  • M Manish kumar parjapity Superb
  • P Pankaj kumar Jay shri ram