Mukhtar Ansari Death : रसूखदार खानदान का "मुख्तार" बन बैठा जरायम का बादशाह
- दादा स्वतंत्रता सेनानी तो पिता थे मशहूर वामपंथी नेता
मेरठ। माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के साथ ही पूर्वांचल में चार दशक पुरानी गैंगवार का अंत हो गया। पूर्व एमएलसी बृजेश सिंह और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की अदावत के किस्से बनारस की गलियों से लेकर गाजीपुर और मऊ-बलिया के चट्टी चौराहों तक आज भी बड़े चाव से सुने जाते हैं। हालांकि बृहस्पतिवार की रात मुख्तार अंसारी खुद भी पूर्वांचल की गैंगवार का एक किस्सा बन कर रह गया।
गाजीपुर के पीजी कॉलेज से स्नातक का छात्र रहा मुख्तार अंसारी की गिनती कभी क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ियों में हुआ करती थी। लेकिन गलत संगत ने मुख्तार अंसारी को जरायम की राह पर धकेल दिया। और फिर बाहुबल से बनाई गई सियासी जमीन पर मुख्तार लगातार पांच बार विधायक चुना गया।
मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) का जन्म पूर्वांचल के गाजीपुर जिले के अत्यंत रसूखदार खानदान में 30 जून 1963 को हुआ था। मुख्तार के दादा डा. मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। वह 1926-1927 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। वह गांधीवादी विचारधारा से जुड़े थे। डा. मुख्तार अहमद अंसारी के बेटे सुब्हानउल्लाह अंसारी देश के बड़े वामपंथी नेता थे। सुब्हानउल्लाह ने बेगम राबिया के साथ शादी की थी। दोनों से तीन बेटे हुए। सिबगतुल्लाह अंसारी, अफजाल अंसारी और मुख्तार अंसारी।
तीन भाइयों में सबसे छोटा, जरायम की दुनिया में बड़ा
तीन भाइयों में सबसे छोटा मुख्तार अंसारी जरायम की दुनिया में बादशाहत कायम कर रखी थी। जिले के युसुफपुर गांव से शुरुआती पढ़ाई करने के बाद मुख्तार अंसारी ने गाजीपुर कालेज से स्नातक और परास्नातक की पढ़ाई की और यहीं अफ्शां अंसारी से निकाह किया। अफ्शां के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हैं। अफ्शां पर यूपी पुलिस ने 75 हजार रुपये का इनाम रखा है। वह लंबे समय से फरार चल रही है। अफ्शां और मुख्तार के दो बेटे हैं अब्बास अंसारी और उमर अंसारी।
एक बेटा जेल में, दूसरा फरार, पत्नी पर है इनाम
एक समय था जब मुख्तार और उसके परिवार की पूरे पूर्वांचल में तूती बोलती थी। पूर्वांचल का कोई भी ऐसा सरकारी ठेका नहीं था, जो उसकी मंजूरी के बगैर किसी और को मिल जाए, लेकिन अब मुख्तार की पत्नी से लेकर बेटों तक पर गंभीर आरोप हैं। बड़ा बेटा अब्बास अंसारी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हुए मऊ से 2022 में विधानसभा चुनाव जीता। अब्बास का एक बेटा है। अब्बास की पत्नी का नाम निखत बानो है। अब्बास अभी जेल में बंद है।
छोटा बेटा 24 वर्षीय उमर अंसारी भी पुलिस के निशाने पर है। उमर पर हेट स्पीच मामले में कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया है। उमर अभी फरार चल रहा है। लग्जरी गाड़ियों का शौक रखने वाला उमर अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने में जुटा हुआ था।
...तो मुख्तार ऐसे बना माफिया
मुख्तार अंसारी न केवल अपराधी था बल्कि वह गाजीपुर-मऊ की राजनीति में भी मजबूत पकड़ रखता था। उसकी भाजपा नेता कृष्णानंद राय से अदावत थी। उसने धोखे से कृष्णानंद समेत सात लोगों की गाजीपुर के गोडउर में हत्या करा दी। कृष्णानंद रहे होते तो मुख्तार न तो राजनीति में आगे बढ़ पाता न ही जरायम की दुनिया में।
90 के दशक में पूर्वांचल में साहिब सिंह और मकनू सिंह के दो गैंग सक्रिय थे। मुख्तार अंसारी मकनू सिंह गैंग में शामिल हो गया। मकनू सिंह गैंग की टक्कर साहिब सिंह गैंग से थी। साहिब सिंह गैंग में त्रिभुवन व बृजेश सिंह थे।
1988 में मुख्तार व साधु सिंह ने मंडी परिषद के ठेकेदार सच्चिदानंद राय को मारा और फिर त्रिभुवन सिंह के भाई राजेंद्र सिंह को मौत के घाट उतार दिया जो उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल थे। अपने भाई की हत्या का बदला लेने के लिए त्रिभुवन ने बृजेश सिंह के साथ मिलकर साधु सिंह की हत्या कर दी। इसके बाद बृजेश सिंह और मुख्तार अंसारी की दुश्मनी शुरू हो गई।
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