आठवां मंगला गौरी व्रत आज, जानें व्रत विधि और आरती
सावन का आठवां मंगला गौरी व्रत आज यानी 22 अगस्त 2023 को है। सावन सोमवार की तरह इस माह के सभी मंगलवार मां पार्वती को समर्पित हैं। इस दिन सुहागिनें व्रत रखती हैं और मां मंगला गौरी की विधि-विधान से पूजा करती हैं। मां मंगला गौरी आदि शक्ति माता पार्वती का ही मंगल रूप हैं। इन्हें मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी के नाम से भी जाना जाता है।
मंगला गौरी का व्रत अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखा जाता है। इसलिए विवाहित महिलाएं सावन में इस व्रत को विधि-विधान के साथ रखती हैं। मंगला गौरी व्रत में विधि पूर्वक पूजा करने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही दांपत्य जीवन में प्रेम बना रहता है। चलिए जानते हैं मंगला गौरी व्रत और पूजा विधि के बारे में...
मंगला गौरी व्रत विधि
सुहागिन महिलाएं आठवें मंगला गौरी व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठ कर स्नानादि करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
फिर एक साफ लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर मां पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें।
इसके बाद व्रत का संकल्प करें और आटे से बना हुआ दीपक प्रज्वलित करें। फिर धूप, नैवेद्य फल-फूल आदि से मां गौरी की पूजा करें।
ध्यान रहे कि आप पूजा में जो भी सामग्री जैसे सुहाग का सामान, फल, फूल, माला, मिठाई आदि जितनी भी चीजें अर्पित कर रही हैं, उनकी संख्या 16 हो।
वहीं पूजा समाप्त होने के बाद मां गौरी की आरती करें और उनसे अखंड सौभाग्य के लिए प्रार्थना करें।
मंगला गौरी व्रत का महत्व
मंगला गौरी व्रत सुहागन स्त्रियां अपने सुहाग एवं अपने परिवार में सुख-शांति और समृद्धि के लिए करती हैं। इसके अलावा यदि कुंवारी कन्याएं मंगला गौरी व्रत करती हैं तो उन्हें सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है। साथ विवाह में हो रही अड़चन भी दूर हो जाती है।
मंगला गौरी आरती
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता
ब्रह्मा सनातन देवी शुभ फल दाता। जय मंगला गौरी...।
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता,
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता। जय मंगला गौरी...।
सिंह को वाहन साजे कुंडल है,
साथा देव वधु जहं गावत नृत्य करता था। जय मंगला गौरी...।
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सटी कहलाता,
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता। जय मंगला गौरी...।
शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता,
सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाता। जय मंगला गौरी...।
सृष्टी रूप तुही जननी शिव संग रंगराताए
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मद माता। जय मंगला गौरी...।
देवन अरज करत हम चित को लाता,
गावत दे दे ताली मन में रंगराता। जय मंगला गौरी...।
मंगला गौरी माता की आरती जो कोई गाता
सदा सुख संपति पाता।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।
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