Mukhtar Ansari: पांच बार विधायक रहा मुख्तार, खुद की भी बनाई थी पार्टी

Mukhtar Ansari: पांच बार विधायक रहा मुख्तार, खुद की भी बनाई थी पार्टी

- गाजीपुर में दर्ज हैं सबसे अधिक मुकदमे

मेरठ। मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) के सियासी सफरनामे पर नजर डालें तो मुख्तार  अंसारी पहली बार मऊ सदर विधानसभा से 1996 में बसपा के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंचा था। इसके बाद 2002 और 2007 में निर्दल विधायक बना। फिर, कौमी एकता दल के नाम से अपनी नई पार्टी बनाई और 2012 का विधानसभा चुनाव जीता।
वर्ष 2017 में मुख्तार अंसारी बसपा से चुनाव जीता। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में वह वाराणसी से बीजेपी के डॉ. मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ उम्मीदवार रहा। हालांकि, वह 17 हजार से अधिक वोटों से हार गया था।
कुख्यात अपराधियों की संगत से माफिया बना मुख्तार जरायम की दुनिया में ऐसा मजबूत कदम रखा कि पूर्वांचल ही नहीं गैर प्रांतों में भी उसके गुर्गे संगठित अपराध को अंजाम देने में खौफ नहीं खाते थे।पुलिस रिकार्ड्स के मुताबिक विरोधियों को दिनदहाड़े गैंगवार में मौत के घाट उतरवाने वाला मुख्तार अंसारी अपनी एक छवि गढ़ने के लिए राजनीति में कदम रखा था।

मुख्तार अंसारी की जेल में भी चलती थी। वह अपने गैंग का संचालन वहीं से करता था। पुलिस ने मुख्तार अंसारी के गैंग को 1997 में आईएस-191 के रूप में पंजीकृत किया था। मगर, 2004 का लोकसभा चुनाव नजदीक आया तो मुख्तार गिरोह ने खूनी खेल शुरू कर दिया। 

फरवरी 2004 में कृष्णानंद राय के खास रहे अक्षय राय उर्फ टुनटुन की हत्या की गई। 26 अप्रैल 2004 को कृष्णानंद के करीबी झिनकू और फिर भाजपा कार्यकर्ता शोभनाथ राय की हत्या की गई। 27 अप्रैल 2004 को दिलदारनगर में रामऔतार की हत्या हुई। 

लोकसभा चुनाव के बाद बाराचवर विकास खंड मुख्यालय पर कृष्णानंद के करीबी अविनाश सिंह पर फायरिंग की गई। अक्तूबर 2005 में एक मामले में जमानत रद्द कराकर मुख्तार जेल चला गया।  नवंबर 2005 में पूर्व विधायक कृष्णानंद राय और छह अन्य लोगों को 400 राउंड से ज्यादा फायरिंग कर मौत के घाट उतार दिया गया था। मुख्तार अंसारी के गैंग के लोग जो ठेके-टेंडर और संपत्ति चाहते थे उसे ले लेते थे, जिसका असर जनपद के विकास पर भी पड़ा।

...और 2005 के बाद जेल से नहीं निकल सका मुख्तार
अक्तूबर 2005 में मऊ में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के दौरान दंगे भड़के और मुख्तार को जेल जाना पड़ा। इसके बाद 29 नवंबर 2005 को भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या हुई और फिर बदलती सरकारों के साथ जेलें भी बदलती रहीं, लेकिन मुख्तार अंसारी बाहर नहीं आ सका।

गाजीपुर में दर्ज हैं सबसे अधिक मुकदमे

मुख्तार अंसारी के खिलाफ नई दिल्ली, पंजाब, मऊ, वाराणसी, लखनऊ, आजमगढ़, बाराबंकी, चंदौली, सोनभद्र, आगरा और गाजीपुर में संगीन धाराओं में 65 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। इसमें से सबसे ज्यादा मुकदमे उसके गृह जिले गाजीपुर में 22 से अधिक दर्ज हैं। ये मुकदमे हत्या, लूट, डकैती, अपहरण, रंगदारी, गैंगस्टर, एनएसए सहित जघन्य प्रकृति के हैं। मुख्तार अंसारी के विरुद्ध लंबित 65 अभियोगों में से 21 का विभिन्न न्यायालयों में ट्रायल चल रहा है।

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Comments

  • D Devendra Kumar Bsp
  • S Sri bhagwan क्या इंडिया वाले यही सब सहने के लिये पैदा हुए है नितिन गडकरी साहब , कंपनी पर ऐसा फाइन लगाओ दूसरे भी याद रखे
  • P Pankaj kumar पुलिस
  • M Manish kumar parjapity Superb
  • P Pankaj kumar Jay shri ram