केंद्रीय मंत्री और बेटे की करतूत पर चुप योगी सरकार यूपी चुनाव से पहले ब्राह्मणों को नहीं करना चाहती है नाराज

केंद्रीय मंत्री और बेटे की करतूत पर चुप योगी सरकार यूपी चुनाव से पहले ब्राह्मणों को नहीं करना चाहती है नाराज

लखीमपुर खीरी में किसानों पर जान बूझ कर हुई हिंसक घटना मे अब तक 8 लोगों की मौत हो चुकी है. केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र पर किसानों पर कार चढ़ाने और फायरिंग करने का आरोप है.घटना में बेटे के साथ-साथ केंद्रीय मंत्री की भी संलिप्तता के आरोप भी किसान लगा रहे हैं. पीड़ित परिवार और विपक्ष केंद्रीय मंत्री का इस्तीफा मांग रहे हैं. मुख्य आरोपी आशीष मिश्र की गिरफ्तार की मांग की जा रही है.


अब सवाल उठ रहे हैं कि इतने गंभीर आरोप के बाद भी केंद्रीय कैबिनेट से अजय मिश्र का इस्तीफा क्यों नहीं लिया गया? उनके बेटे से अब तक पूछताछ तक क्यों नहीं हुई है? आइए समझने की कोशिश करते हैं 2022 की शुरुआत में यूपी में विधानसभा चुनाव होने हैं. इस चुनाव में बीजेपी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. उसे पता है कि अगर योगी सरकार सत्ता में वापसी में सफल नहीं रही तो 2024 में उसके लिए दिल्ली की राह कठिन होगी.


अब बात करते हैं अजय मिश्र की. लखीमपुर खीरी से सांसद टेनी को 3 महीने पहले हुए मंत्रिमंडल विस्तार में मोदी सरकार में जगह दी गई है. टेनी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हैं. गौर करने वाली बात ये है कि वो मोदी कैबिनेट में यूपी से आने वाले ब्राह्मण समाज के इकलौते के मंत्री हैं। जून में जब मोदी सरकार के कैबिनेट विस्तार में उन्हें शामिल किया गया तो इसी फैक्टर को बड़ी वजह माना गया. कहा गया कि यूपी में योगी सरकार से नाराज चल रहे ब्राह्मणों को साधने के लिए बीजेपी ने यह कदम उठाया है. 2014 लोकसभा और 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में इस समाज ने एकजुट होकर बीजेपी को वोट दिया था. तो क्या योगी सरकार को लेकर पहले ही आशंकित ब्राह्मणों को चुनावी साल में पार्टी और नाराज नहीं करना चाहती और इसलिए लखीमपुर खीरी मामले में फंसे अजय मिश्र को लेकर फूंक-फूंक कर कदम रख रही है?


यूपी में ब्राह्मणों की आबादी 11 फीसदी के करीब है. 2017 में बीजेपी के राज्य की सत्ता में वापसी के बाद इस समाज को उम्मीद थी कि उसे सरकार का नेतृत्व करने का अवसर मिलेगा. हालांकि हुआ बिल्कुल इसके उलट, ठाकुर बिरादरी से आने वाले योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया. चाहे विकास दुबे का एनकाउंटर हो या फिर लक्ष्मीकांत वाजपेयी जैसे पार्टी के दिग्गज ब्राह्मण नेताओं को एक के बाद एक कर साइडलाइन करने का मामला, योगी आदित्यनाथ पर जान-बूझकर ब्राह्मणों को निशाना बनाने के आरोप लगे.


योगी आदित्यनाथ के पिछले साढ़े चार साल के कार्यकाल में ब्राह्मणों के बीच असुरक्षा की भावना बढ़ी है, इसे भाजपा भी जानती है और विपक्षी पार्टियां भी. बसपा- सपा जैसी पार्टियां इसी नाराजगी को भुनाने की कोशिश में है. ये पार्टियां विधानसभा चुनाव से पहले ब्राह्मण सम्मेलन का आयोजन कर रही हैं, कोशिश इस समाज के वोटरों को अपने पाले में लाने की है. इसलिए शायद बीजेपी को डर रही है कि अजय मिश्र पर सीधी कार्रवाई से अगर ब्राह्मणों में गलत संदेश गया तो 2022 में यूपी में योगी की वापसी मुश्किल हो सकती है.

यह पहली बार नहीं है जब मोदी सरकार के किसी मंत्री पर गंभीर आरोप लगे हों. इससे पहले भई ऐसे कई मामलों में बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रवैये पर विपक्ष ने सवाल खड़े किए हैं.


मोदी सरकार के मंत्रियों पर पहले भी गंभीर आरोप लग चुके हैं. चाहे रेप के आरोपी निहालचंद हों, 'मी टू' में गंभीर आरोपों का सामना कर रहे पूर्व विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर या फिर पूर्व रेल राज्य मंत्री राजन गोहेन, इन सभी को लेकर मोदी सरकार के रवेयै पर सवाल उठते रहे हैं. आइए जानते हैं कि मोदी सरकार के मंत्रियों पर इससे पहले कब-कब गंभीर आरोप लगे और उन पर क्या कार्रवाई हुई। राजस्थान के श्रीगंगानगर से सांसद निहालचंद को 2014 में मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री बनाया गया था. कुछ दिन बाद ही उन पर रेप केस होने की बात सामने आई. मोदी कैबिनेट में रेप के आरोपी मंत्री के शामिल होने पर खूब हंगामा हुआ. हालांकि इसके बावजूद भी उनके खिलाफ बीजेपी ने कोई एक्शन नहीं लिया और वह लंबे समय तक मंत्री बने रहे.


3 साल पहले मी टू मूवमेंट के दौरान तत्कालीन विदेश राज्य मंत्री और पत्रकार एमजे अकबर पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगे. ये आरोप उनके साथ काम कर चुकी कई पूर्व सहकर्मियों ने लगाए थे. हालांकि विवाद बढ़ने पर अकबर से पीएम नरेंद्र मोदी ने इस्तीफा तो ले लिया, लेकिन वह अभी भी बीजेपी में हैं और मध्य प्रदेश से पार्टी के राज्यसभा सांसद हैं.


2018 में रेल राज्य मंत्री राजन गोहेन पर रेप के आरोप लगे. उन पर असम के नागांव में एक महिला के साथ रेप और उसे धमकाने का मामला दर्ज किया गया, इन आरोपों के बाद भी वो 2019 लोकसभा चुनाव तक मोदी कैबिनेट का हिस्सा बने रहे. हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उनका टिकट काट दिया था.

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  • D Devendra Kumar Bsp
  • S Sri bhagwan क्या इंडिया वाले यही सब सहने के लिये पैदा हुए है नितिन गडकरी साहब , कंपनी पर ऐसा फाइन लगाओ दूसरे भी याद रखे
  • P Pankaj kumar पुलिस
  • M Manish kumar parjapity Superb
  • P Pankaj kumar Jay shri ram